Sunday, September 9, 2007

नयी सड़क

ज़िंदगी के चौराहों पर,
यूं ट्रैफिक लाईट नहीं होती
होता है तो सिर्फ, हर दिशा को दर्शाता एक तीर
हम में से कुछ,
यूं ही खड़े रह जाते हैं,
तो कुछ एक तीर के सीध मॆं निकल जाते हैं
और कुछ उस रेत पर चल पड़ते हैं,
जहाँ कोई निशान नहीं होते
और फिर उन पदचिन्हों पर बनती है,
एक और नयी सड़क

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