यह वादा है मेरा,
उन हसीन पलों से,
कुछ जो फुर्सत में बीते,
किसी के साथ की खुशबू में भीगे,
ख़ुशी के रस से सराबोर,
भँवरे की तरह जिन्हे जिया मैंने
कुछ जो धीमे गुज़रे,
कंधे पर कुछ सामान लिए,
कुछ भारी ज़ख्मों का,
अनकही खामोशियों का
कुछ जो तेज़ गुज़रे,
क्षणभंगुर सफलताओं को चूमते,
सभी को जो पीछे छोड़ गए,
कुछ हाथ जो हाथ से छूट गए
कुछ जो थम से गए,
स्तब्ध से, अनमने,
मानो एक दीवार घड़ी पर,
सुई का कांटा रुका हो
और कुछ जो जी गए,
याद रहने को पर्यंत,
किसी हंसी में,
कुछ सच हुये सपनो में
यह वादा है मेरा,
कि उनकी छाप सिमटी रहेगी,
स्मृतियों मॆं,
जिन्दगी की पाठशाला के,
हर पाठ को मैं जिंदा रखूंगा
यह वादा है मेरा,
उन हसीन पलों से...
1 comment:
A very nice poem.. sorry for commenting after such a long time ..owing to not have 'mangal' installed on my comp. I have put a few lines on my gtlak today ...
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